Thursday 9 March 2023

हिंदी ट्वीटस - छत्रपति शिवाजी महाराज | Hindi tweets for shivaji maharaj

हिंदी ट्वीटस (छत्रपति शिवाजी महाराज)

1645 में 16 वर्ष की आयु में शिवाजी ने आदिलशाह सेना को आक्रमण की सूचना दिए बिना हमला कर तोरणा किला विजयी कर लिया।   #ChhatrapatiShivajiJayanti 

शिवाजी एक कुशल सेनापति, जन्मजात नेता, महान संगठनकर्ता, निश्चयी और आकर्षक व्यक्तित्व के धनी थे, किसी भी विपत्ती का सामना करने के लिए वे सदैव तैयार रहते थे|  #ChhatrapatiShivajiJayanti 

हिंदू समाज में गुलामी और निराशा के भाव के साथ जीने की भावना को शिवाजी ने ही समाप्त किया। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में बहुत से लोगों ने शिवाजी के जीवन चरित्र से प्रेरणा लेकर भारत की स्वतंत्रता के लिए अपना तन−मन−धन न्यौछावर कर दिया। #ChhatrapatiShivajiJayanti 

शिवाजी की दूरदृष्टि व्यापक थी। शिवाजी के शासनकाल में अपराधियों को दण्ड अवश्य मिलता था लेकिन साबित हो जाने पर। #ChhatrapatiShivajiJayanti 

शिवाजी केवल युद्ध में ही निपुण नहीं थे अपितु उन्होंने कुशल शासन तंत्र का भी निर्माण किया। राजस्व, खेती, उद्योग आदि की उत्तम व्यवस्था की भी शुरुआत की| #ChhatrapatiShivajiJayanti 

 अफजल खां शिवाजी को पकड़ने निकला लेकिन शिवाजी उससे कहीं अधिक चतुर निकले और अफजल खां मारा गया। इसके बाद शिवाजी महाराज के यश की कीर्ति पूरे भारत में ही नहीं अपितु यूरोप में भी सुनी गयी |    #ChhatrapatiShivajiJayanti 


छत्रपति शिवाजी महाराज के जन्म पर स्वामी रामदास ने तुलजापुर की माँ भवानी से प्रार्थना की – 
“तुझ तू वाढवी रजा, शीघ्र अम्हांसी देवता”
अर्थात “माँ जगदम्बे, महाराष्ट्र के इस भावी राजा को तुम्हीं बड़ा करो और वह भी शीघ्रातिशीघ्र हमारी आँखों के सामने”|  #ChhatrapatiShivajiJayanti 

नवनिर्मित राज्य शासन को सुचारू रूप से चलाने के लिए शिवाजी महाराज ने अष्ट प्रधान की व्यवस्था की – 
पेशवा (प्रधानमंत्री)
अमात्य (लेखा परीक्षक)
व्याकानवीस (अभिलेखक) 
शुरूनवीस (सचिव) 
दबीर ( विदेश सचिव) 
सदर-ए- नौबल (सेनापति)
सदर-ए-मोहतिश्व (पंडित राव)
काजी-उल-कुजात ( न्यायाधीश) #ChhatrapatiShivajiJayanti 

छत्रपति शिवाजी महाराज अपने चरित्र बल, दृढ़ इच्छाशक्ति एवं प्रखर राष्ट्रभक्ति के ही कारण महानता के उच्च शिखर तक पहुँच गए|  #ChhatrapatiShivajiJayanti 

गुरुदक्षिणा में छत्रपति शिवाजी महाराज ने सारा साम्राज्य गुरु समर्थ रामदास के चरणों में अर्पित कर दिया था और स्वयं एक प्रबंधक के रूप में निरपेक्ष भाव से शासन प्रबंध करते थे| #ChhatrapatiShivajiJayanti 

छत्रपति शिवाजी महाराज माँ भवानी के परम भक्त थे |  #ChhatrapatiShivajiJayanti 


एक प्रखर राष्ट्रभक्त होने के कारण शिवाजी ने सदैव यह प्रयास किया कि हिन्दुओं में एकता स्थापित हो और वे एक जुट होकर विदेशी आक्रान्ताओं के विरुद्ध हथियार उठाकर भारत माता को दासता से मुक्त कर सकें|  #ChhatrapatiShivajiJayanti 

छत्रपति शिवाजी महाराज ने राजा जयसिंह को एक मार्मिक पत्र लिखकर हिन्दू एकता के लिए निवेदन भी किया था| #ChhatrapatiShivajiJayanti 

छत्रपति महाराज का शासन एकतंत्रीय राजतन्त्र था पर वे व्यवहार में सदैव जनतांत्रिक पद्धति का ही पालन करते थे| बिना अष्ट प्रधान की सलाह और परामर्श के कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय नहीं लेते थे|   #ChhatrapatiShivajiJayanti

समाज में सुधार की इच्छा, शौर्य, ऐसे अनेक गुणों के प्रतीक रहे छत्रपति शिवाजी महाराज का आदर्श हमें लेना चाहिए – डॉ. मोहन भागवत, सरसंघचालक #ChhatrapatiShivajiJayanti 

शिवाजी महाराज का अनुकरण कर आदर्श समाज निर्मिती के लिए प्रयास करना चाहिए | हम सब के आचरण से ही संपूर्ण विश्व को शिवाजी महाराज के कर्तृत्व का एहसास होना चाहिए - डॉ. मोहन भागवत, सरसंघचालक  #ChhatrapatiShivajiJayanti 

राष्ट्रोत्थान के लिये शिवाजी महाराज की जीवनी मार्गदर्शक पुस्तिका के समान है| - डॉ. मोहन भागवत, सरसंघचालक   #ChhatrapatiShivajiJayanti 

छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन का अनुसरण कर देश के उत्थान के लिये कार्य किया तो सबका जीवन सुखी होगा - डॉ. मोहन भागवत, सरसंघचालक #ChhatrapatiShivajiJayanti 

छत्रपति शिवाजी महाराज  का जन्म सन 1630 में शिवनेरी दुर्ग में हुआ | पिता शाहजी भोंसले व माता जीजाबाई थीं|  #ChhatrapatiShivajiJayanti 


बाल्यकाल से ही जीजाबाई शिवाजी को रामायण, महाभारत तथा पुराणों में वर्णित वीरों, सत्पुरुषों एवम् साधुसंतों की कहानियाँ सुनती थीं|  #ChhatrapatiShivajiJayanti 


माँ जीजाबाई से वीर कथाओं तथा धर्म-कथाओं को सुनते-सुनते शिवाजी के मन में राम, कृष्ण, भीम या अर्जुन के समान बनने के विचार उठते थे|   #ChhatrapatiShivajiJayanti 

शिक्षक और मार्गदर्शक के रूप में छत्रपति शिवाजी महाराज को दादाजी कोणडदेव जैसे महापुरुष प्राप्त हुए थे | #ChhatrapatiShivajiJayanti 

केवल 16 वर्ष की छोटी आयु में शिवाजी ने एक किला जीता |उस किले का नाम था तोरणा| केसरिया रंग का पवित्र ध्वज,  भगवा झंडा तोरणा दुर्ग पर फहराने लगा|  #ChhatrapatiShivajiJayanti 

तोरणागढ़ के बाद छत्रपति शिवाजी  एक के बाद एक किले जीतने लगे|   #ChhatrapatiShivajiJayanti 

शिवाजी 28 वर्ष के थे तब कोंडाणा, पुरंदर, प्रतापगढ़, राजगढ़, चाकण, आदि चालीस दुर्गों पर स्वराज्य का झंडा फहर रहा था|  #ChhatrapatiShivajiJayanti 

छत्रपति शिवाजी महाराज  ने एक राजा के तौर पर निष्पक्ष शासन किया और एक सेनापति के नाते हर सैनिक का ऐसा मनोबल बढ़ाया कि पलक झपकते ही दुश्मन ढेर हो जाते थे |  #ChhatrapatiShivajiJayanti 

भारत की पवित्र माटी में जन्मे छत्रपति शिवाजी महाराज साहस, राजकौशल और कुशल प्रशासक की सनातन प्रतिमूर्ति थे।  #ChhatrapatiShivajiJayanti 

छत्रपति शिवाजी महाराज  बहुत ही अच्छे योजनाकार और संगठनकर्ता थे|  #ChhatrapatiShivajiJayanti 


छत्रपति शिवाजी महाराज ने उतार-चढ़ावों का सामना किया, लेकिन कभी भी मर्यादा का हनन नहीं किया|    #ChhatrapatiShivajiJayanti 

सत्ताओं से देश को जो खतरा था उसे सबसे पहले शिवाजी ने आँका| उनके आक्रमणों को रोकने की उन्होंने व्यवस्था की थी| शिवाजी एक दूर द्रष्टा थे |   #ChhatrapatiShivajiJayanti 

छत्रपति शिवाजी महारण ने देखा मराठों में जोश और स्वदेशाभिमान तो है, पर एकता नहीं होने के कारण वे सफल नहीं हो पा रहे हैं। इसलिए शिवाजी ने उन्हें एक-एक करके संगठित किया।   #ChhatrapatiShivajiJayanti 


 शिवाजी महाराज की राजकीय व्यवस्था और सेना खड़ी करने की क्षमता अद्भुत थी। उनकी न्याय व्यवस्था तो ऐसी थी कि दुश्मन भी इस मामले में उनकी तारीफ करते थे।   #ChhatrapatiShivajiJayanti 


छत्रपति शिवाजी हर व्यक्ति से कुछ न कुछ सीखने की कोशिश करते थे। उनसे जुड़ा एक प्रसंग बताता है कि वे अपने आलोचकों से भी सीख लेते थे। #ChhatrapatiShivajiJayanti 

छत्रपति शिवाजी महाराज ने जहाजी बेड़ा बनाकर एक मजबूत नौसेना की स्थापना की। इसलिए उन्हें भारतीय नौसेना का पिता कहा जाता है।  #ChhatrapatiShivajiJayanti 

 
शिवाजी ने राज्य की चिरकालीन दृढ़ता के लिए अनेक संस्थाओं का निर्माण करवाया। औरंगजेब की प्रचंड शक्ति का सामना कर विजय प्राप्त करने में इन संस्थाओं का बहुत उपयोग हुआ। इस कारण स्वसंरक्षण और राज्यवर्धन, ये दोनों काम मराठा कर सके।   #ChhatrapatiShivajiJayanti 
 
छत्रपति शिवाजी महाराज ने सुशासन और प्रशासन हिंदुस्तान के इतिहास में नवीन अध्याय लिखा था और ये सब उन्होंने अपने योग्यता और क्षमता के आधार पर किया था – प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी   #ChhatrapatiShivajiJayanti 

छत्रपति शिवाजी महाराज यानि घोड़ा, तलवार, युद्ध लड़ाई विजय तक ही सीमित नहीं थे| वे पराक्रमी थे, वीर थे, पुरुषार्थी थे और हम सबकी प्रेरणा है - प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी  #ChhatrapatiShivajiJayanti 


समर्थ गुरु रामदास छत्रपति शिवाजी को गुरु नीति और ज्ञान की बातें समझाते रहते थे। 
समर्थ गुरु रामदास ने शिवाजी महाराज को समझाया कि हमारे अन्दर पालनकर्ता का अभिमान नहीं आना चाहिए। #ChhatrapatiShivajiJayanti

शिवाजी महाराज हर विचारधारा और मत-पंथ का सम्मान करते थे। उन्होंने अपने शासन काल में सभी मत-पंथों को पूर्ण स्वतंत्रता दे रखी थी, लेकिन उन्होंने जबरन धर्मान्तरण का विरोध किया था| #ChhatrapatiShivajiJayanti   


इतिहासकार कफी खां और एक फ्रांसीसी पर्यटक बर्नियर ने छत्रपति शिवाजी महाराज की धार्मिक नीतियों की प्रशंसा की है। #ChhatrapatiShivajiJayanti 


शिवाजी महाराज समस्त मानवता के लिए आदर्श और प्रेरणा के स्रोत हैं। उनकी अद्वितीय प्रतिभा, अदम्य साहस और समर्पित सेवा से आने वाली पीढ़ियां भी मानवता का भविष्य उज्ज्वल करती हैं।    #ChhatrapatiShivajiJayanti

Friday 6 January 2023

Swami Vivekananda tweets for tweeter in hindi | vivekananda sandesh yatra

  1. भारत की आजादी का अमृत महोत्सव- 1857 से चले लम्बे स्वाधीनता संग्राम के उपरान्त भारत ने 15

अगस्त 1947 को स्वतंत्रता प्राप्त की। इस वर्ष हमारी आजादी को 75 वर्ष पूर्ण हुए। 

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  1. भारत अपनी  संस्कृति और उपलब्धियों के गौरवशाली इतिहास, स्वतंत्रता संग्राम के योद्धाओं के बलिदान और मातृभूमि के प्रति समर्पण का स्मरण करते हुए ज्ञान, विज्ञान जैसे समस्त क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हो रहा है

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  1. भारत की वैश्विक महत्ता और आवश्यकता को समझने तथा उस पर गर्व करते हुए, नए विकसित भारत के निर्माण में जुट जाने का संकल्प लेते हुए हम 'भारत की आजादी का अमृत महोत्सव' मना रहे हैं।

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  1. भारत की स्वतंत्रता के इस अमृत काल में युवा संन्यासी स्वामी विवेकानन्द के ओजस्वी विचार अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं। 

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  1. भारत विश्वगुरू की प्रतिष्ठा को प्राप्त है- अपनी अध्यात्मिक शक्ति, गौरवपूर्ण संस्कृति, संस्कारों से ओतप्रोत अद्भुत सामर्थ्य, वैश्विक शांति और सौहार्द के लिए वसुधैव कुटुम्बकम् के भारतीय दर्शन के कारण 

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  1. भारत विश्वगुरू की प्रतिष्ठा को प्राप्त है-  मानव कल्याण की प्रेरणा देने वाले सनातन धर्म, अमृत परिवार की संकल्पना एवं मूल्यपरक आचरण के कारण । 

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  1. इस विश्व आदर्श की प्रतिष्ठा को अक्षुण्ण रखने तथा भारतीय स्वतंत्रता को यथार्थ रूप से समझने के लिए भारत के प्रति स्वामी विवेकानन्द की समग्र दृष्टि और संदेश पर चिन्तन करने और उसका अनुसरण करने की आवश्यकता है।

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  1. स्वामी विवेकानन्द के नर सेवा नारायण सेवा के भाव से मनुष्य निर्माण से राष्ट्र निर्माण के संदेश को विश्वजन तक पहुँचाने के ध्येय को धारण करते हुए विवेकानन्द केन्द्र की स्थापना 07 जनवरी 1972 के दिन हुई। 

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  1. विवेकानन्द केंद्र आध्यात्म प्रेरित सेवा संगठन है जिसकी स्थापना  सूर्योदय के समय विवेकानन्द शिला स्मारक कन्याकुमारी पर भगवा ध्वज फहराकर की गयी। 

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  1. माननीय श्री एकनाथ रानडे द्वारा स्थापित विवेकानन्द केन्द्र, तब से लगातार कन्याकुमारी मुख्यालय और देशभर में स्थापित 1331 शाखाओं व प्रकल्पों के माध्यम से कार्य करते हुए आज  07 जनवरी, 2023 को गौरवशाली 50 वर्ष पूर्ण कर रहा है

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  1. भारत की आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर स्वामी विवेकानन्द के राष्ट्रचेतना जाग्रत करते हुए मानव मात्र के कल्याण की प्रेरणा देने वाले विचारों-संदेश राजस्थान प्रदेश के जन-जन तक पहुंचे । 

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  1. इसी  उद्देश्य को लेकर ही विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी राजस्थान प्रान्त द्वारा भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के सौजन्य से विवेकानन्द संदेश यात्रा राजस्थान का आयोजन किया गया। 

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  1.  यह यात्रा स्वामी विवेकानन्द को विशिष्ट पहचान देने वाले खेतड़ी नगर से 19/11/22 से शुरू होकर राजस्थान में 7 संभागों के 33 जिलों में 75 स्थानों पर होते हुए 50 दिन की यात्रा पूर्ण कर, आज 7 जनवरी को जोधपुर में सम्पन्न हुई। 

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  1. स्वामी विवेकानन्द खेतड़ी, अलवर, जयपुर, अजमेर, सिरोही, आबू पर्वत आदि राजस्थान के जिन भी स्थानों पर आए थे, विशेष तौर पर उन सभी स्थानों पर भी विवेकानन्द संदेश यात्रा पहुंची।

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  1. 19 नवंबर को विवेकानन्द शिला स्मारक एवं विवेकानन्द केंद्र कन्याकुमारी के संस्थापक माननीय श्री एकनाथ रानडे की जयंती को साधना दिवस के रूप में मनाता है।  

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  1. यह वर्ष भारत की आजादी का अमृत काल,  माननीय श्री एकनाथ रानडे की 108 वीं जयंती और विवेकानन्द केंद्र की स्थापना के 50 वर्ष मना रहा है। 

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  1. विवेकानन्द केन्द्र: अध्यात्म प्रेरित सेवा संगठन के सेवा में समर्पित 50 वर्ष

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  1. विवेकानन्द संदेश यात्रा की राज्य आयोजन समिति में परम पूजनीय संत गोविंद देव गिरी जी, अनंत श्रीविभूषित जगद्गुरु निम्बार्काचार्य पीठाधीश्वर, परम श्रद्धेय स्वामी दत्तशरणानंद जी महाराज का आशीर्वाद प्राप्त हुआ। 

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  1. विवेकानन्द संदेश यात्रा के अंतर्गत मुख्य रूप से शोभा यात्रा, नुक्कड़ नाटक, अमृत परिवार संगोष्ठी, क्विज़ प्रतियोगिता, मैराथॉन, साइकिल रैली आदि कार्यक्रम आयोजित हुए।  

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  1. शोभा यात्रा, संगोष्ठी एवं मैराथॉन कार्यक्रम विशेष आकर्षण का केंद्र रहे। 

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  1. शोभा यात्रा में मातृशक्ति एवं युवा शक्ति केसरिया वेश में शोभा यात्रा की शोभा बढ़ाते रहे। साथ ही विभिन्न क्रांतिकारियों की झाँकिया भी मुख्य आकर्षण बनी रहीं। 

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  1. भारत के समाज की दशा दर्शाता नुक्कड़ नाटक का मंचन युवा कार्यकर्ताओं द्वारा पूरी यात्रा के दौरान रचनात्मक रूप से किया गया। जिसका प्रभाव जनमानस पर निश्चित रूप से आया। 

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  1. कोटा, डूंगरपुर व बीकानेर में आयोजित अमृत परिवार एवं वैचारिक संगोष्ठियों के माध्यम से विवेकानन्द संदेश यात्रा के उद्देश्य को सार्थक भी किया गया।  

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  1. उठो! जागो! युवा भारत! यह आवाहन लेकर विवेकानन्द संदेश यात्रा सम्पूर्ण राजस्थान में विचरण कर आज अपने अंतिम पड़ाव जोधपुर पहुंची। 

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  1. आज विवेकानन्द संदेश यात्रा के समापन कार्यक्रम में सायं 5 बजे बतौर मुख्य अतिथि केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री भारत सरकार श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत सम्मिलित होंगे। 

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  1. मुख्य वक्ता के रूप में विवेकानन्द केंद्र की अखिल भारतीय उपाध्यक्ष पद्मश्री सुश्री निवेदिता भिड़े मार्गदर्शन देंगी। 

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  1. विवेकानन्द केन्द्र वर्तमान में देश के 30 राज्यों में 224 जिलों में कार्य कर रहा है। 

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  1. यह सेवा कार्य 71 विभाग स्थान, 109 नगर स्थान, 129 कार्य स्थान, 616 प्रकल्प स्थान और 406 ग्राम स्थानों पर  है। 

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  1. इस प्रकार कुल 1331 स्थानों पर अपने जीवनव्रती, सेवाव्रती, शिक्षार्थी व वानप्रस्थी के रूप में 180 पूर्णकालिक और 6737 दायित्ववान कार्यकर्ताओं के साथ निःस्वार्थ भाव से सेवारत है।

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  1. कार्यपद्धति के चार आयाम : नयी पीढ़ी में जीवनमूल्यों और देशभक्ति भाव स्थापित करने के लिए संस्कार वर्ग का नियमित आयोजन होता है।

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  1.  वैचारिक स्पष्टता और ज्ञानवर्द्धन के लिए स्वाध्याय वर्ग का आयोजन होता है। 

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  1. योग जीवनपद्धति को जन- जन तक ले जाने के लिए योग वर्ग का आयोजन होता है।

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  1.  केन्द्र के कार्यकर्ताओं के सेवा संकल्प की पुष्टि हेतु केन्द्र वर्ग का आयोजन होता है।

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  1. केन्द्र के पाँच वार्षिक उत्सव : भारत राष्ट्र की शक्ति, सामर्थ्य और गौरव के प्रति चेतना जाग्रत करने के लिए 25 दिसम्बर से 12 जनवरी तक समर्थ भारत पर्व एवं स्वामी विवेकानन्द जयंती उत्सव

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  1. गीता अध्ययन के माध्यम से जीवन में श्रेष्ठता लाने के लिए मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी को गीता जयंती उत्सव

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  1. राष्ट्र निर्माण के प्रति समर्पण भाव को पुष्ट करने के लिए माननीय एकनाथ रानडे की जयंती 19 नवम्बर को साधना दिवस उत्सव

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  1. स्वामी विवेकानन्द ने सौहार्द और मानव कल्याण के प्रति सनातन धर्म की महत्ता का प्रथम उद्घोष शिकागो धर्मसंसद में 11 सितम्बर 1893 को किया,इसलिए  विश्वबंधुत्व की भावना पर चिन्तन हेतु 11 सितम्बर को विश्वबंधुत्व दिवस उत्सव 

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  1. गुरू के प्रति श्रद्धा की अभिव्यक्ति और अनुसरण के लिए आषाढ़ पूर्णिमा को गुरू पूर्णिमा उत्सव मनाए जाते है।

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  1. विविध शिविर व अन्य आयोजन: विवेकानन्द केन्द्र प्रति वर्ष 18 से 65 आयुवर्ग के लिए आध्यात्मिक शिविर, 18 से 60 आयुवर्ग के लिए योग शिक्षा शिविर व योग प्रमाणपत्र कोर्स का आयोजन करता है। 

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  1. युवावर्ग के लिए आवासीय प्रशिक्षण शिविर, व्यक्तित्व विकास शिविर, विमर्श, व्याख्यान व वैचारिक सम्मेलन, विद्यालय व महाविद्यालयों में स्वाध्याय प्रतियोगिताएं व एक दिवसीय शिविर इत्यादि का आयोजन भी होता है।

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  1. शिक्षा सेवा - मनुष्य निर्माण व राष्ट्र निर्माण की शिक्षा प्रदान करने के ध्येय से अरूणाचल प्रदेश में 37,असम में 24,नागालैंड में 1,अंडमान में 10 कर्नाटक में 01 और तमिलनाडु में 02 कुल 75 विवेकानन्द केन्द्र विद्यालय हैं।  

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  1. प्राथमिक कक्षा के विद्यार्थियों के समग्र विकास के लिए अरूणाचल प्रदेश, असम के चाय बागान, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश व महाराष्ट्र में 200 आनन्दालय है। 

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  1. पूर्वप्राथमिक विद्यार्थियों के लिए तमिलनाडु, अरूणाचल प्रदेश व उड़ीसा में 195 बालवाड़ी हैं । #Vivekananda_Sandesh_Yatra

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  1. अरूणाचल प्रदेश के निर्जुली में एक बीएड कॉलेज, बालिका शिक्षा प्रोत्साहन हेतु अरूणाचल प्रदेश में दो कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय तथा असम के न्यूमालीगढ़ में विवेकानन्द केन्द्र नर्सिंग स्कूल संचालित ।

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  1. स्वास्थ्य सेवा - असम के न्यूमालीगढ़ में वि.  के.  न्यूमालीगढ़ रिफाइनरी लि. अस्पताल, मध्यप्रदेश के बीना में वि.  के.भारत ओमान रिफाइनरी लि. अस्पताल, उड़ीसा के पारादीप में आइओसीएल वि. के. अस्पताल । 

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  1. तमिलनाडु में 15 व झारखण्ड और महाराष्ट्र में एक-एक मेडिकल डिस्पेंसरी, अरूणाचल प्रदेश में दो मोबाइल चिकित्सा वैन तथा असम के तिनसुकिया में विवेकानन्द स्वास्थ्य सेवा सदन संचालित ।

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  1. जनजाति व ग्राम्य कल्याण और कौशल विकास - असम, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, उड़ीसा जैसे राज्यों में विवेकानन्द केन्द्र ग्राम्य कल्याण योजना, विवेकानन्द केन्द्र प्रशिक्षण व सेवा प्रकल्प

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  1. विवेकानन्द केन्द्र अरूण ज्योति, महिलाओं के लिए विवेकानन्द केन्द्र व्यावसायिक प्रशिक्षण केन्द्र, विवेकानन्द प्राकृतिक स्रोत्र विकास परियोजना (VIK-NARDEP), ग्रीन रामेश्वरम प्रोजेक्ट इत्यादि के द्वारा सेवाकार्य। 

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  1. सत्साहित्य: युवा भारती (अंग्रेजी), विवेकानन्द केन्द्र पत्रिका (अंग्रेजी), केन्द्र भारती (हिन्दी), विवेक विचार (मराठी), विवेक वाणी (तमिल), विवेक जागृति (असमी-अंग्रेजी) का प्रकाशन। #Vivekananda_Sandesh_Yatra

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  1. विश्व भानु (मलयालम), विवेक सुधा (गुजराती) जैसी सामाजिक- सांस्कृतिक पत्रिकाओं सहित अनेक जनुपयोगी विषयक  पुस्तकों व ग्रंथों का प्रकाशन ।

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  1. मानवीय उत्कृष्टता हेतु प्रशिक्षण: विवकानन्द केन्द्र प्रतिष्ठान कन्याकुमारी, विवेकानन्द केन्द्र रामकृष्ण महासम्मेलन आश्रम नागदण्डी कश्मीर। 

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  1. विवेकानन्द केन्द्र कौशलम हैदराबाद, विवेकानन्द केन्द्र वैदान्तिक एप्लीकेशन इन योग एंड मैनेजमेंट (VK-VAYAM) सोलापुर महाराष्ट्र के माध्यम से सेवा ।

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  1. सांस्कृतिक अध्ययन एवं शोध - विवेकानन्द इन्टरनेशनल फाउण्डेशन (VIF) नई दिल्ली, विवेकानन्द केन्द्र वैदिक विजन फाउण्डेशन (VKIC) गुवाहाटी असम। 

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  1.  विवेकानन्द केन्द्र एकेडमी फॉर इण्डियन कल्चर, योग एंड मैनेजमेंट (VKAICYAM) भुवनेश्वर उड़ीसा के द्वारा कार्य।

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  1. विवेकानन्द शिला स्मारक, स्वामी विवेकानन्द मण्डपम, एकनाथ रानडे समाधि, गौशाला, मोर अभ्यारण्य,रामायण दर्शनम-भारत सदनम, अराइज-अवेक, गंगोत्री, ग्रामोदय पार्क, वेंडरिंग मोंक जैसी प्रदर्शनियाँ ।

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  1. राजस्थान में विवेकानन्द केन्द्र: 1972 में विवेकानन्द केन्द्र की स्थापना के लगभग साथ ही राजस्थान प्रांत में भी केन्द्र कार्य का प्रारंभ हुआ। 

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  1. अजमेर, जोधपुर, जयपुर, भीलवाड़ा में केन्द्र की गतिविधियाँ अनवरत रूप से चल रही हैं। विवेकानन्द केन्द्र का हिन्दी प्रकाशन का कार्य जोधपुर से चलता है। 

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  1. पिछले कुछ समय से केन्द्र बांसवाड़ा जिले के जनजाति क्षेत्र में भी आनंदालयों के माध्यम से कार्यरत है। #Vivekananda_Sandesh_Yatra

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  1. वर्तमान में राजस्थान प्रांत में 8 विभागों में 7 नगर स्थान, 7 कार्यस्थान, 21 ग्रामस्थान के साथ ही 10 आनंदालय, 1 सिलाई प्रशिक्षण केन्द्र तथा जोधपुर में हिन्दी प्रकाशन विभाग के माध्यम से कार्य हो रहा है।

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  1. विगत 50 वर्षों में राजस्थान प्रांत में विवेकानन्द केन्द्र ने अनेक महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम हाथ में लिए-स्वामी विवेकानन्द के परिव्रजन के शताब्दी वर्ष में 1992 में सम्पूर्ण देश में विवेकानन्द भारत परिक्रमा का आयोजन हुआ। 

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  1. विवेकानन्द भारत परिक्रमा को राजस्थान में अभूतपूर्व प्रतिसाद मिला, परिक्रमा के पश्चात अनेक स्थानों पर केन्द्र कार्य प्रारंभ हुआ।

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  1.  सामूहिक सूर्यनमस्कार - विद्यालयीन छात्रों को सघन प्रशिक्षण देते हुए बड़ी संख्या में सामूहिक सूर्यनमस्कार कार्यक्रमों का आयोजन केन्द्र ने देशभर में अनेक स्थानों पर किया, इसका प्रारंभ हुआ राजस्थान प्रांत से। 

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  1.  अजमेर, जोधपुर, भीलवाड़ा में हजारों छात्र ने एकत्रित आते हुए ऐसे सूर्यनमस्कार कार्यक्रमों में सहभागिता की। प्रांत में भीलवाडा में सर्वाधिक 11000 छात्रों ने एक साथ सूर्यनमस्कार महायज्ञ में भाग लिया है।

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  1.  महाविद्यालयीन छात्रों तथा युवाओं को जोड़ने की दृष्टि से वर्ष 2007 में विजय ही विजय कार्यक्रम हाथ में लिया गया। 950 से अधिक युवाओं का 5 दिवसीय आवासीय युवा प्रेरणा शिविर शाहपुरा (भीलवाड़ा) में सम्पन्न हुआ। 

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  1.  मध्य भारत के जनजाति क्षेत्र में आनंदालय - बालकों के लिए विद्यालयीन शिक्षा तथा नैतिक शिक्षा केन्द्र-प्रारंभ किए हैं। इस प्रकल्प के माध्यम से बालकों को मूलभूत शिक्षा के साथ उनमें आत्मविश्वास का जागरण होता है। विविध जनजाति क्षेत्र के साथ ही भीलवाड़ा, उदयपुर शहर में भी ऐसे आनंदालय चल रहे हैं।

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  1. जोधपुर के गीता भवन में स्थित 'विवेकानंद केंद्र हिंदी प्रकाशन विभाग' विगत बीस से अधिक वर्षो से विविध हिंदी भाषी पुस्तकों के प्रकाशन के माध्यम अब तक 85 से अधिक पुस्तकों का प्रकाशन कर चुका है। 

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  1.  साथ ही विगत 44 वर्षों से पारिवारिक मासिक पत्रिका केंद्र भारती का नियमित प्रकाशन भी हो रहा है।

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  1. स्वामी विवेकानन्द का राजस्थान से विशेष संबंध रहा, इसमें खेतड़ी नरेश अजीतसिंह से उनकी आत्मीयता सर्वविदित है। स्वामीजी यहाँ आए तो विविदिषानन्द बनकर थे, पर यह खेतड़ी ही था जिसने उन्हें विश्वविख्यात विवेकानन्द का नाम दिया। 

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  1. यहीं से स्वामीजी के अमरीका स्थित शिकागो की विश्व धर्म संसद में जाने की अधिकांश व्यवस्था भी हुई। 

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  1. यह भी राजस्थान की सभ्यता और संस्कृति का ही प्रभाव था कि विवेकानन्द ने अपनी पारम्परिक बंगाली व परिव्राजक सन्यासी की वेशभूषा के स्थान पर राजस्थानी साफा और चोगा कमरखी का आकर्षक वेश धारण किया, जो उनकी स्थायी पहचान बना। 

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  1. वे राजस्थानी परम्परानुसार भूमि पर बैठकर पट्टे पर ही भोजन किया करते थे। यह भी राजस्थान का ही सौभाग्य रहा कि रामकृष्ण मिशन जैसी जनकल्याणकारी संस्था की शुरूआत का प्रथम प्रयास भी यहीं से हुआ। 

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  1. विवेकानन्द स्वयं कहते थे कि 'यदि खेतड़ी के राजा न मिले होते तो शायद मैं वह सब नहीं कर पाता जो कर पाया हूँ।' इसीलिए उन्होंने अपने सहयोगी अखण्डानन्द आदि से भी राजस्थान से जुड़े रहने का आग्रह किया था।

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  1. विवेकानन्द अपने परिव्राजक काल के दौरान प्रथमत: फरवरी 1891 में, दूसरी बार अप्रेल 1893 में और तीसरी बार नवम्बर 1897 में राजस्थान आए। 

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  1. प्रथम यात्रा के समय गेरूआ वस्त्र धारण किये, हाथों में दण्ड- कमण्डल और कांधे पर कम्बल डाले 28 वर्षीय युवा सन्यासी फरवरी 1891 में अलवर आए । 

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  1. यहाँ महाराज मंगलसिंह को मूर्तिपूजा का महत्व बताया। अलवर से स्वामीजी जयपुर होते हुए अप्रेल 1891 में किशनगढ़ से अजमेर आए, दरगाह व तीर्थराज पुष्कर से पैदल ही प्रस्थान कर 14 अप्रेल 1891 में आबू पर्वत पहुँचे। 

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  1. वहाँ एक छोटी सी निर्जन गुफा में ध्यान-धारणा करने लगे। यहीं स्वामीजी की भेंट खेतड़ी के महाराजा अजीतसिंह से हुई और फिर तो वे दोनों अभिन्न मित्र ही बन गए। 

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  1. 8 अगस्त, 1891 को खेतड़ी महल के उद्यान में नर्तकी के मुख से मीरां का मीठा भजन सुनकर भावविभोर स्वामीजी द्वारा माँ कहकर प्रणाम करने की अद्भुत भावधारा का गवाह भी राजस्थान बना । 

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  1. खेतड़ी प्रवास के समय ही सीकर स्थित जीणमाता के दर्शन करके 28 अक्टूबर को अजमेर के लिए प्रस्थान किया। अजमेर में स्वामी विवेकानन्द हरविलास शारदा जी से मिले। श्यामजी कृष्ण वर्मा के साथ भी रहे। बाद में वे गुजरात चले गए।

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  1. राजस्थान में विवेकानन्द की दूसरी यात्रा भी अत्यंत महत्वपूर्ण रही। दिसम्बर 1892 तक वे भ्रमण के दौरान शिकागो में होने वाली विश्व धर्म संसद में जाने के विषय में भी सोचते रहे। 

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  1. 25, 26 व 27 दिसम्बर 1892 को स्वामीजी ने कन्याकुमारी समुद्र स्थित श्रीपाद शिला पर तीन दिन लगातार ध्यान कर भारत के उत्थान पर चिन्तन किया। 

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  1. खेतड़ी नरेश के मुंशी जगमोहन लाल 21 अप्रेल को उन्हें लेकर खेतड़ी आ गए। यहीं अजीतसिंह ने स्वामी विवेकानन्द को पानी के जहाज से अमरीका में शिकागो धर्मसंसद में भेजने की सम्पूर्ण व्यवस्थाएं की। 

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  1. अजीतसिंह जी ने नया राजस्थानी साफा और चोगा-कमरखी मंगवाया और आग्रहपूर्वक स्वामीजी को दिया। 10 मई को मुंशी जगमोहन लाल के साथ ही विवेकानन्द शिकागो यात्रा के लिए रवाना हुए।

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  1.  राजस्थान का यही साफा और चोगा पहनकर स्वामी विवेकानन्द ने विश्वभर में सनातन धर्म का परचम फहराया और फिर यही उनकी स्थायी पहचान बन गया।

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  1. अमरीका से लौटने के उपरान्त अपनी तृतीय यात्रा में स्वामी विवेकानन्द नवम्बर 1897 के अंत में सर्वप्रथम अलवर आए, पाँच-छ: दिन रहकर वे जयपुर होते हुए खेतड़ी पहुँचे। 

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  1. यहाँ स्वामीजी का भव्य स्वागत-सत्कार हुआ और 11 दिसम्बर 1897 को एक बड़ी सभा का आयोजन भी हुआ। 21 दिसम्बर, 1897 को उन्होंने खेतड़ी से जयपुर के लिए प्रस्थान किया। 

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  1. बीच में झुंझुनु के बबाई और सीकर के थोई में भी विश्राम किया। अजीतसिंह जयपुर तक उन्हें विदा करने आए थे । 

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  1.  यहाँ दस दिन खेतड़ी हाउस में ठहरने के बाद स्वामीजी एक जनवरी, 1898 को किशनगढ़ आए। यहाँ से वे जोधपुर चले गए। 

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  1. 1899 में राजस्थान में 19वीं सदी का भीषणतम अकाल 'छप्पनीया अकाल' पड़ा। 

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  1. उसी समय किशनगढ़ में स्वामीजी द्वारा स्थापित रामकृष्ण मिशन ने उनके गुरूभाई स्वामी अखण्डानन्द की देखरेख में अकाल सहायता के रूप में सेवा कार्य प्रारम्भ किया। 

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  1. मिशन का राजस्थान में कार्य यहीं से शुरू हुआ था।

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  1. युवा पीढ़ी से स्वामी विवेकानन्द का आह्वान- "तुम्हारे भविष्य को निश्चित करने का यही समय है। इसलिए मैं कहता हूँ कि अभी इस भरी जवानी में, इस नये जोश के जमाने में ही काम करो। 

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  1. काम करने का यही समय है, इसलिए अभी अपने भाग्य का निर्णय कर लो और काम में लग जाओ .आओ हम एक महान ध्येय को अपनाएं और उसके लिए अपना जीवन समर्पित कर दें।

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  1. उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत; उठो जागो और लक्ष्य प्राप्ति तक रूको मत

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  1. स्वामीजी सदैव कहते थे-

"मेरा विश्वास युवा पीढ़ी-नयी पीढ़ी में है, मेरे कार्यकर्ता इन्हीं में से आएँगे और वे सिंहों की भांति समस्याओं का हल निकालेंगे।"

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  1. जब सैंकड़ों नर-नारी पवित्रता की अग्नि से पूर्ण, ईश्वर में अविचल विश्वास से युक्त और हृदय में सिंह का साहस  लिए, गरीब और पददलितों के प्रति सहानुभूति रखते हुए, भारत के कोने-कोने में मुक्ति, सहयोग, सामाजिक उत्थान और समानता का संदेश देतु हुए विचरण करेंगे, तब भारत विश्वगुरू बनेगा। 

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  1. क्या आप भी उन लोगों में से एक हैं, जिनके द्वारा स्वामीजी मातृभूमि - जगद्गुरू भारत के

लोगों को जाग्रत करने का मिशन पूरा करना चाहते थे ? 

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  1. क्या आप भी ऐसे ही युवा हैं ? .... क्या आप भी मनुष्य, समाज और राष्ट्र की सेवा करना चाहते हैं ?...

यदि हाँ तो आइये, अध्यात्म प्रेरित सेवा संगठन - विवेकानन्द केन्द्र आपकी प्रतीक्षा में है। 

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  1. यदि हाँ, तो आप विवेकानन्द केन्द्र की शिक्षा, संस्कृति और समाजोत्थान के लिए सजग प्रकल्पों और पूरे भारत में फैली केन्द्र शाखाओं से जुड़कर 'मनुष्य-निर्माण से राष्ट्र-निर्माण' के विविध सेवा प्रकल्पों के माध्यम से मानवता की सेवा कर सकते हैं। 

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  1. मैं भी विवेकानन्द। उठो! जागो! युवा भारत !

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  1. आजादी का अमृत महोत्सव राष्ट्रीय चेतना के जनक स्वामी विवेकानन्द के संदेश बिना असंभव है। विवेकानन्द संदेश यात्रा, आजादी के अमृत महोत्सव को पूर्ण करती है। 

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Tuesday 22 March 2022

Shaheed divas tweets & social media posts in english #ShaheedDivas #BhagatSingh #Sukhdev #Rajguru #MartyrsDay

English Tweets (Shaheedi Diwas) #BhagatSingh #Sukhdev #Rajguru #MartyrsDay


They may kill me, but they cannot kill my ideas. They can crush my body, but they will not be able to crush my spirit.   

Revolution is an inalienable right of mankind. Freedom is an imperishable birthright of all.  #BhagatSingh #Sukhdev #Rajguru #MartyrsDay


It is easy to kill individuals but you cannot kill the ideas.  


Old order should change, always and ever, yielding place to new, so that one good order may not corrupt the world. #BhagatSingh #Sukhdev #Rajguru #MartyrsDay


Life is lived on its own other's shoulders are used only at the time of funeral.

If the deaf are to hear, the sound has to be very loud.  

Bombs and pistols don’t make a revolution. The sword of revolution is sharpened on the whetting stone of ideas.  

#BhagatSingh #Sukhdev #Rajguru #MartyrsDay

Love always elevates the character of man. It never lowers him, provided love be love  

I am a man and all that affects mankind concerns me  

Lovers, Lunatics and poets are made of same stuff.  

#BhagatSingh #Sukhdev #Rajguru #MartyrsDay

Merciless criticism and independent thinking are the two necessary traits of revolutionary thinking.  


Revolution is an inalienable right of mankind. Freedom is an imperishable birth right of all. Labor is the real sustainer of society, the sovereignty of the ultimate destiny of the workers.  


For us, compromise never means surrender, but a step forward and some rest. That is all and nothing else.  

Every tiny molecule of Ash is in motion with my heat I am such a Lunatic that I am free even in Jail.  #BhagatSingh #Sukhdev #Rajguru #MartyrsDay

The dirty alliance between religious preachers and possessors of power brought the boon of prisons, gallows, knouts and above all such theories for the mankind.  

I am full of ambition and hope and charm of life. But I can renounce everything at the time of need.  #BhagatSingh #Sukhdev #Rajguru #MartyrsDay

The sanctity of law can be maintained only so long as it is the expression of the will of the people.  

Any man who stands for progress has to criticize, disbelieve and challenge every item of the old faith. Item by item, he has to reason out every nook and corner of the prevailing faith.  

Labour is the real sustainer of society.  

By crushing Individuals, they cannot kill ideas.  #BhagatSingh #Sukhdev #Rajguru #MartyrsDay

It is beyond the power of any man to make a revolution. Neither can it be brought about on any appointed date. It is brought about by special environments, social and economic.  

 The aim of life is no more to control the mind, but to develop it harmoniously; not to achieve salvation here after, but to make the best use of it here below; and not to realize truth, beauty and good only in contemplation, but also in the actual experience of daily life;  

social progress depends not upon the ennoblement of the few but on the enrichment of democracy   #BhagatSingh #Sukhdev #Rajguru #MartyrsDay

 Universal brotherhood can be achieved only when there is an equality of opportunity – of opportunity in the social, political and individual life.  

May the Sun in his course visit no land more free, more happy, more lovely, than this our own Country.  

'Revolution' does not necessarily involve sanguinary strife nor is there any place in it for individual vendetta. It is not the cult of the bomb and the pistol. By 'Revolution' we mean that the present order of things, which is based on manifest injustice, must change #BhagatSingh #Sukhdev #Rajguru #MartyrsDay

In times of great necessity, violence is indispensable.  


The people generally get accustomed to the established order of things and begin to tremble at the very idea of a change. It is this lethargical spirit that needs be replaced by the revolutionary spirit.   


I am still not at all in favour of offering any defence. Even if the court had accepted that petition submitted by some of my co-accused regarding defence, etc., I would not have defended myself.  


I deny the very existence of that Almighty Supreme Being.  


I will climb the gallows gladly and show to the world as to how bravely the revolutionaries can sacrifice themselves for the cause.  

A rebellion is not a revolution. It may ultimately lead to that end.  

I have altogether failed to comprehend as to how undue pride or vain-gloriousness could ever stand in the way of a man believing in God.  

Life is lived in your own spirit; you need others' help in funerals only  


People get accustomed to the established order of things and tremble at the idea of change. It is this lethargic spirit that needs be replaced by the revolutionary spirit.  

Man acts only when he is sure of the justness of his action. 

It is here that soul-force has to be combined with physical force so as not to remain at the mercy of tyrannical and ruthless enemy.  

Non-violence is backed by the theory of soul-force in which suffering is courted in the hope of ultimately winning over the opponent.  

Revolution was the vital living force indicative of eternal conflict between life and death, the old and the new, light and the darkness.  

 

The elimination of force at all cost is Utopian.  


#BhagatSingh #Sukhdev #Rajguru #MartyrsDay

शहीद दिवस ट्वीट हिंदी में - 23 March Shahid divas tweets & social media posts - #Bhagatsingh #ShaheedDiwas #Sukhdev #MartyersDay #शहीद_दिवस

हिंदी ट्वीटस (शहीदी दिवस)


जिंदगी तो अपने दम पर ही जी जाती है, दूसरों के कंधो पर तो सिर्फ जनाजे उठाये जाते हैं | #Bhagatsingh #ShaheedDiwas #Sukhdev #MartyersDay #शहीद_दिवस

“मेरा धर्म देश की सेवा करना है।” सरदार भगत सिंह  


 

किसी को ‘क्रांति’ शब्द की व्याख्या शाब्दिक अर्थ में नहीं करनी चाहिए। जो लोग इस शब्द का उपयोग या दुरूपयोग करते हैं उनके फायदे के हिसाब से इसे अलग अलग अर्थ और अभिप्राय दिए जाते हैं।   #Bhagatsingh #ShaheedDiwas #Sukhdev #MartyersDay #शहीद_दिवस

कोई भी व्यक्ति जो जीवन में आगे बढ़ने के लिए तैयार खड़ा हो उसे हर एक रूढ़िवादी चीज की आलोचना करनी होगी, उसमे अविश्वास करना होगा और चुनौती भी देना होगा।    



किसी भी इंसान को मारना आसान है, परन्तु उसके विचारों को नहीं। महान साम्राज्य टूट जाते हैं, तबाह हो जाते हैं, जबकि उनके विचार बच जाते हैं।    #Bhagatsingh #ShaheedDiwas #Sukhdev #MartyersDay #शहीद_दिवस

व्यक्तियो को कुचल कर , वे विचारों को नहीं मार सकते।

   

सामाजिक प्रगति कुछ के विकास पर नहीं बल्कि लोकतंत्र के संवर्धन करती है  

किसी भी कीमत पर बल का प्रयोग ना करना काल्पनिक आदर्श है |  #Bhagatsingh #ShaheedDiwas #Sukhdev #MartyersDay #शहीद_दिवस


हवा में रहेगी, मेरे ख्याल की बिजली, ये मुस्ते खाक है फानी रहे, रहे न रहे |   

क़ानून की पवित्रता तभी तक बनी रह सकती है जब तक की वो लोगों की इच्छा की अभिव्यक्ति करे।   



क्रांति मानव जाती का एक अपरिहार्य अधिकार है। स्वतंत्रता सभी का एक कभी न ख़त्म होने वाला जन्म-सिद्ध अधिकार है।   

निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम् लक्षण हैं।   

#Bhagatsingh #ShaheedDiwas #Sukhdev #MartyersDay #शहीद_दिवस

जिंदा रहने की ख्वाहिश कुदरती तौर पर मुझमें भी होनी चाहिए । मैं इसे छिपाना नहीं चाहता, लेकिन मेरा जिंदा रहना एक शर्त पर है । मैं कैद होकर या पाबंद होकर जिंदा रहना नहीं चाहता ।   


दिल से निकलेगी न मरकर भी वतन की उलफत, मेरी मिट्‌टी से भी खुशबू-ए वतन आएगी ।   

अपने दुश्मन से बहस करने के लिये उसका अभ्यास करना बहुत जरुरी है।   


क्रांति लाना किसी भी इंसान की ताकत के बाहर की बात है। क्रांति कभी भी अपनेआप नही आती। बल्कि किसी विशिष्ट वातावरण, सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों में ही क्रांति लाई जा सकती है।   

क्रांतिकारी सोच के दो आवश्यक लक्षण है – बेरहम निंदा तथा स्वतंत्र सोच।   #Bhagatsingh #ShaheedDiwas #Sukhdev #MartyersDay #शहीद_दिवस



बम और पिस्तौल क्रांति नहीं लाते हैं। क्रान्ति की तलवार विचारों के धार बढ़ाने वाले पत्थर पर रगड़ी जाती है।   

सिने पर जो ज़ख्म है, सब फूलों के गुच्छे हैं, हमें पागल ही रहने दो, हम पागल ही अच्छे हैं।   

देशभक्तों को अक्सर लोग पागल कहते हैं।    

महान आवश्यकता के समय, हिंसा अनिवार्य हैं   

जन संघर्ष के लिए, अहिंसा आवश्यक हैं   


लिख रहा हूँ मैं अंजाम जिसका कल आगाज आएगा | मेरे लहू का हर कतरा इंकलाब लाएगा, मैं रहूँ या न रहूँ पर यह वादा है तुमसे मेरा की मेरे बाद वतन पर मरने वालों का सैलाब आएगा |  #Bhagatsingh #ShaheedDiwas #Sukhdev #MartyersDay #शहीद_दिवस

इस कदर वाकिफ है मेरी कलम मेरे जज्बातों से अगर मैं इश्क लिखना भी चाहूँ तो इंकलाब लिखा जाता है    

मुझे कभी भी अपनी रक्षा करने की कोई इच्छा नहीं थी, और कभी भी मैंने इसके बारे में गंभीरता से नहीं सोचा।   

क्रांति की तलवारें तो सिर्फ विचारों की शान से तेज की जाती हैं।    

हमें यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्रांति का मतलब केवल उथल-पुथल या ए क प्रकार का संघर्ष नहीं है।     

क्रांति आवश्यक रूप से मौजूदा मामलों (यानी, शासन) के पूर्ण विनाश के बाद नए और बेहतर रूप से अनुकूलित आधार पर समाज के व्यवस्थित पुनर्निर्माण के कार्यक्रम का अर्थ है।    

विद्रोह कोई क्रांति नहीं है। यह अंततः उस अंत तक ले जा सकता है।    

अपने देश की तुलना में सूर्य अपनी यात्रा में अधिक स्वतंत्र, अधिक खुश, अधिक प्यारा कहीं ओर नहीं हो सकता    #Bhagatsingh #ShaheedDiwas #Sukhdev #MartyersDay #शहीद_दिवस

बुराई इसलिए नहीं बढ़ रही है कि  बुरे लोग बढ़ गए है बल्कि बुराई इसलिए बढ़ रही है क्योंकि बुराई सहन करने वाले लोग बढ़ गये है   

किस तरह से भगवान पर विश्वास करने वाला व्यक्ति अपने निजी घमंड के कारण विश्वास करना बंद कर सकता है? केवल दो तरीके हैं। आदमी को या तो खुद को भगवान का प्रतिद्वंद्वी समझना शुरू कर देना चाहिए, या वह खुद को भगवान मानना ​​शुरू कर सकता है।   

लोग चीजों के स्थापित क्रम के आदी हो जाते हैं और परिवर्तन के विचार पर कांप जाते हैं। यह इस सुस्त भावना को क्रांतिकारी भावना से बदलने की जरूरत है  #Bhagatsingh #ShaheedDiwas #Sukhdev #MartyersDay #शहीद_दिवस

मैं इस विषय पर जोर देता हूँ कि मैं महत्वकांशा, आशा और जीवन के प्रति आकर्षण से भरा हुआ हूँ। परन्तु मैं आवश्यकता पड़ने पर यह सब त्याग/छोड़ भी सकता हूँ, और वही सच्चा बलिदान है।   

कुछ लोग आम तौर पर चीजें जैसी होती है उसके आदि हो जाते हैं, और बदलाव के विचार या बात से ही डर कर कांपने लगते हैं। हम लोगों को इसी निष्क्रियता की भावना को क्रन्तिकारी भावना में बदलने की आवश्यकता है।   #Bhagatsingh #ShaheedDiwas #Sukhdev #MartyersDay #शहीद_दिवस

मैं इस बात को समझने में पूरी तरह से विफल रहा हूं कि किस तरह से गर्व या व्यर्थ-गौरव कभी भी ईश्वर में विश्वास रखने वाले व्यक्ति के रास्ते में खड़े हो सकते हैं।  

जो लोग अपने देश के लिए मरते हैं वे शहीद होते हैं और जो अपने देश के लिए जीते हैं वे अधिक शहीद होते हैं।    

क्रांति जीवन और मृत्यु, पुराने और नए, प्रकाश और अंधेरे के बीच शाश्वत संघर्ष का महत्वपूर्ण जीवित बल संकेत था    #Bhagatsingh #ShaheedDiwas #Sukhdev #MartyersDay #शहीद_दिवस

खुदा के आशिक हजारों हैं, वनों में फिरते हैं मारे-मारे, मैं उसका बंदा बनूंगा जिसको खुदा के बंदों से प्यार होगा।  

हँसते-हँसते चढ़ा वो फांसी उसका भी तो जमीर था हर नौजवान है कायल जिसका, शहीद-ए-आज़म भगत सिंह वो वीर था  

हमारे लिए, कभी भी समझौते का मतलब आत्मसमर्पण नहीं है, बल्कि एक कदम आगे और कुछ आराम है। वह सब है और कुछ नहीं।   

मनुष्य तभी कार्य करता है जब वह अपने कार्य की न्यायप्रियता के बारे में सुनिश्चित हो।  

श्रम समाज का वास्तविक निर्वाहक है    

सार्वभौमिक भाईचारा तभी प्राप्त किया जा सकता है जब अवसर की समानता हो - सामाजिक, राजनीतिक और व्यक्तिगत जीवन में अवसर की  

प्यार हमेशा इंसान के चरित्र को ऊँचा उठाता है। यह उसे कभी कम नहीं करता है, बशर्ते कि प्यार प्यार हो|  

#Bhagatsingh #ShaheedDiwas #Sukhdev #MartyersDay #शहीद_दिवस

जीवन का उद्देश्य मन को नियंत्रित करना नहीं है, बल्कि इसे सामंजस्यपूर्ण रूप से विकसित करना है; इसके बाद यहाँ मोक्ष प्राप्त करने के लिए नहीं, बल्कि नीचे इसका सर्वोत्तम उपयोग करने के लिए|  

#Bhagatsingh #ShaheedDiwas #Sukhdev #MartyersDay #शहीद_दिवस

सत्य और सौंदर्य केवल चिंतन में अच्छा होने का एहसास नहीं है, बल्कि दैनिक जीवन के वास्तविक अनुभव में भी होना चाहिए|  

महान आवश्यकता के समय में, हिंसा अपरिहार्य है।  



Friday 4 March 2022

Swami Shraddhanand English Tweets \ social media posts

Swami Shraddhanand English Tweets \ social media posts


Swami Shraddhanand alias Lala Munshiram Vij was born on 22 February 1856 in the village of Talwan in the  Jalandhar District of the Punjab Province of India. #SwamiShraddhanand

Click here for All Social media posts in hindi about Swami Sraddhanand

Swami Shraddhanand - the champion of "Shuddhi Movement"  #SwamiShraddhanand



Swami Shraddhanand wrote a book named ‘Hindu Sanghatan: Saviour of Dying Race’.


Swami Shraddhanand was as good as his word and in 1902 founded the Gurukul at Haridwar.


Swami Shraddhanand spent his life in the cause of the uplift of the depressed classes, reconversion of the former Hindus to Hinduism and bringing Hindus of various views together.


Swami Shraddhanand was an educational reformer who experimented with the use of Hindi as the medium of instruction.



Swami Shraddhanand’s attitude towards social problems was that of a liberal reformer as he favored giving women equal status with men in society.  #SwamiShraddhanand



Swami Shraddhanand favored widow-marriage and warred against early marriage, both of boys and girls.  #SwamiShraddhanand


Swami Shraddhanand firmly believed that the depressed classes-Harijans of today-had been given a raw deal by the Hindus and felt that they owed it to them to ameliorate their condition.  #SwamiShraddhanand


Swami Shraddhanand believed that Hinduism must be emancipated from the grip of the evil practices that had been sapping its vitality.  #SwamiShraddhanand


Swami Shraddhanand belief in Hindu-Muslim amity pitched him into the pulpit of the greatest mosque in Bharat, an honor never paid to any Hindu before.  #SwamiShraddhanand


Swami Shraddhanand’s   greatest contribution lies in the field of education & the Gurukul movement is a living example of his work.  #SwamiShraddhanand


Swami Shraddhanand follower of the Arya Samaj, led a crucial campaign for women’s education In 1889, Swami Shraddhanand wrote a series of articles regarding women’s education in the


Arya Samaj run newspaper Saddharmpracharak.   #SwamiShraddhanand


Swami Shraddhanand started the weekly named Satya Dharma Pracharak to propagate the views of Swami Dayanand.   #SwamiShraddhanand


Swami Shraddhanand defended the rights of the lower-castes and established ‘Dalit Uddhar Sabha’ which worked for the wellbeing of the untouchables.  #SwamiShraddhanand


Swami Shraddhanand strongly condemned Hindu orthodoxy, caste rigidities, untouchability and advocated widow remarriage, education of women.   #SwamiShraddhanand


Swami Shraddhananda propagated the valuable teachings of Swami Dayananda Saraswati and played a prominent role in the Shuddhi and the Sangathan movement of the 1920s  #SwamiShraddhanand


Swami Shraddhananda was one of the greatest Hindu innovators of India who is popularly known as the saviour of the dying race.  #SwamiShraddhanand


On 23rd December, 1926 a Muslim fanatic named Abdul Rashid wished to discuss Islam with Swami Shraddhananda and he fired gun shots at Swamiji in his residence at Naya Bazar, Delhi.  #SwamiShraddhanand


Swami Shraddhananda also known as Mahatma Munshi Ram was a freedom fighter, educationalist, follower of the Arya Samaj and a committed sanyasi.  #SwamiShraddhanand


Swami Shraddhananda played a very prominent role in the freedom struggle and joined public agitations that were started by Gandhiji in 1919.  #SwamiShraddhanand


Swami Shraddhanand by virtue of his personality he connected with the masses across various sections of society & organized ‘hartals’ against the Rowlatt Act.  #SwamiShraddhanand


When a soldier threatened to fire upon the crowd, Swami Shraddhanand bared his chest and challenged the soldier to shoot.  #SwamiShraddhanand


Swami Shraddhanand made a debut in the world of journalism with his writings in Urdu and Hindi on both religious and social subjects.  #SwamiShraddhanand


Sadharm Pracharak, written by Swami Shraddhanand was initially published in the Urdu language and became very popular.  #SwamiShraddhanand


Swami Shraddhanand’s mission was to propagate the Vedic Dharma and he never deviated from his path.    #SwamiShraddhanand

स्वामी श्रद्धानन्द ट्वीट्स in Hindi / social media posts Hindi

हिंदी ट्वीटस / posts

स्वामी श्रद्धानंद का जन्म 22 फरवरी सन् 1856 (फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी, विक्रम संवत् 1913) को पंजाब प्रान्त के जालंधर जिले के पास बहने वाली सतलुज नदी के किनारे बसे तलवन नगरी में हुआ था। #SwamiSradhhanand


स्वामी श्रद्धानंद का बचपन का नाम मुंशीराम था| 

#SwamiSradhhanand


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‘स्वामी श्रद्धानंद की याद आते ही 1919 का दृश्य आंखों के आगे आ जाता है। सिपाही फ़ायर करने की तैयारी में हैं। स्वामी जी छाती खोल कर आगे आते है और कहते है- ‘लो चलाओ गोलियां‘। इस वीरता पर कौन मुग्ध नहीं होगा? - लौह पुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल #SwamiSradhhanand


स्वामी श्रद्धानंद वीर सैनिक थे। वीर सैनिक रोग शैय्या पर नहीं, परंतु रणांगण में मरना पसंद करते हैं। वह वीर के समान जीये तथा वीर के समान मरे‘ - महात्मा गांधी #SwamiSradhhanand


स्वामी श्रद्धानंद द्वारा देश की समस्याओं तथा हिंदोद्धार पर आधारित ‘हिंदू सॉलिडेरिटी-सेवियर ओफ़ डाइंग रेस‘ अर्थात् ‘हिंदू संगठन – मरणोन्मुख जाति का रक्षक’ नामक पुस्तक लिखी गयी जो आज भी लोगों का मार्गदर्शन करती है| #SwamiSradhhanand


स्वामी श्रद्धानंद ने स्वराज्य हासिल करने, देश को अंग्रेजी दासता से छुटकारा दिलाने और विधर्मी बने हिंदुओं का शुद्धिकरण करने का कार्य किया| #SwamiSradhhanand


स्वामी श्रद्धानंद ने दलितों को उनका अधिकार दिलाने और पश्चिमी शिक्षा की जगह वैदिक शिक्षा प्रणाली गुरुकुल के मुताबिक शिक्षा का प्रबंध करने जैसे अनेक कार्य करने मे योगदान दिया |


स्वामी श्रद्धानंद ने गुरुकुल की स्थापना करके देश में पुन: वैदिक शिक्षा की शुरुआत की | #SwamiSradhhanand


स्वामी श्रद्धानंद ने महर्षि दयानंद द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों का प्रचार-प्रसार कर उन्हें कार्यरूप में परिणित किया और उनके जरिए देश, समाज और स्वाधीनता के कार्यों को आगे बढ़ाने का युगांतरकारी कार्य किए।


स्वामी श्रद्धानंद जी ने ही गाँधी को सबसे पहले ‘महात्मा’ कहकर सम्बोधित किया था जो आगे चलकर उनके नाम के साथ जुड़ गया | #SwamiSradhhanand


स्वामी श्रद्धानंद ने 30 मार्च, 1919 को चांदनी चौक, दिल्ली में रौलट एक्ट के विरुद्ध हुए सत्याग्रह का नेतृत्व किया | #SwamiSradhhanand


स्वामी श्रद्धानंद जी द्वारा हरिद्वार के पास 24 मार्च, 1902 ‘गुरुकुल कांगड़ी’ की स्थापना की गयी | #SwamiSradhhanand


स्वामी श्रद्धानंद ने दलितों की भलाई के लिए कार्य किया तथा  साथ ही कांगेस के स्वाधीनता के आंदोलन का 1919 से लेकर 1922 तक नेतृत्व भी किया। 


स्वामी श्रद्धानंद ने जालन्धरऔर देहरादून में कन्या पाठशाला की स्थापना की| #SwamiSradhhanand


स्वामी श्रद्धानंद ने लौकिक शिक्षा और पूर्वजों की महान परंपरा की शिक्षा को सभी जाति के विद्यार्थियों के लिए शिक्षण संस्थानों में प्रचलित किया| #SwamiSradhhanand


स्वामी श्रद्धानंद ने वर्ष 1919 में दिल्ली की जामा मस्जिद में पहले वेद मंत्र पढ़े और एक प्रेरणादायक भाषण दिया। मस्जिद में वेद मंत्रों का उच्चारण करने वाले भाषण देने वाले स्वामी श्रद्धानंद एकमात्र व्यक्ति थे।


30  मार्च 1919 को दिल्ली के चांदनी चौक स्थित घंटाघर पर फिरंगियों के सामने छाती को तानकर कहा था कि ‘चलाओ गोली, भारत की जनता पर गोली चलाने के पूर्व तुम्हें इस संन्यासी की छाती को छलनी करना होगा,


स्वामी श्रद्धानंद अग्रिम पंक्ति के स्वतंत्रता सेनानी, सामाजिक चिन्तक, विद्वान, पत्रकार, लेखक, वक्ता और कुशल संगठनकर्ता थे | #SwamiSradhhanand


स्वामी श्रद्धानंद ने स्वामी दयानंद के विचारों का प्रचार करने के लिए ‘सदधर्मप्रचारक’ नाम से साप्ताहिक अखबार शुरू किया।

 

स्वामी श्रद्धानंद ने 'हिंदू संगठन: सेविंग ऑफ़ डाइंग रेस' नामक एक पुस्तक लिखी | #SwamiSradhhanand


 स्वामी श्रद्धानंद का मिशन वैदिक धर्म का प्रचार करना था और वह अपने रास्ते से कभी नहीं हटे।


स्वामी श्रद्धानंद ने स्वामी दयानंद सरस्वती की बहुमूल्य शिक्षाओं का प्रचार किया और 1920 के शुद्धि और संगठन आंदोलन में एक प्रमुख भूमिका निभाई


स्वामी श्रद्धानंद ने निचली जातियों के अधिकारों की रक्षा की और 'दलित उद्धारक सभा' ​​की स्थापना की, जिसने अछूतों के कल्याण के लिए काम किया। #SwamiSradhhanand


 1889 में  स्वामी श्रद्धानंद ने अखबार सदधर्मप्रचारक में महिलाओं की शिक्षा के संबंध में कई लेख लिखे। #SwamiSradhhanand

 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. केशव हेडगेवार के घर में कुछ महापुरुषों के चित्र लगे थे जिनमें एक स्वामी श्रद्धानंद का भी चित्र था| #SwamiSradhhanand


बालिकाओं की पढ़ाई के लिए स्वामी श्रद्धानंद ने जालंधर में विद्यालय की स्थापना की | #SwamiSradhhanand


जात-पात व ऊंच-नीच के भेदभाव को मिटाकर समग्र समाज के कल्याण के लिए स्वामी श्रद्धानंद ने अनेक कार्य किए। #SwamiSradhhanand

महर्षि दयानंद के देहांत के बाद स्वामी श्रद्धानंद ने स्वयं को स्वदेश, स्व-संस्कृति, स्व-समाज, स्व-भाषा, स्व-शिक्षा, नारी कल्याण, दलितोत्थान, स्वदेशी प्रचार, वेदोत्थान, पाखंड खडंन, अंधविश्‍वास उन्मूलन और धर्मोत्थान के कार्यों को आगे बढ़ाने मे पूर्णत समर्पित कर दिया 


लाहौर में वकालत पढ़ते वक्त स्वामी श्रद्धानंद का सम्पर्क आर्य समाज से हुआ था| समय मिलने पर या रविवार को गाँवों में वेदों के प्रचार के लिए निकल जाते थे |


23 दिसम्बर, 1926 को चांदनी चौक, दिल्ली में अब्दुल रशीद नाम के व्यक्ति ने स्वामी श्रद्धानंद जी की गोली मारकर हत्या कर दी। #SwamiSradhhanand

Guru govind singh tweets/posts in English

Guru govind singh tweets / posts in English - English Tweets


Guru Gobind Singh was the tenth Sikh Guru, spiritual teacher, warrior, poet and philosopher.  #दशमेश_पिता


Guru Gobind Singh was the only son of Guru Tegh Bahadur (ninth Sikh Guru) and Mata Gujri. He was born in Patna, Bihar. #दशमेश_पिता


Guru Govind Singh started the Khalsa tradition of five "क” 

Hair: Hair

Comb: A wooden comb

Stark: An iron or steel bracelet worn on the wrist

Sword: Sword or dagger

Saber: Small sword  #दशमेश_पिता


While Guru Gobind Singh was unique in the sacrificial tradition of the world, he was also a great writer, original thinker and scholar of many languages including Sanskrit.   #दशमेश_पिता


Guru Gobind Singh was a unique confluence of devotion and power. He always gave the message of love, unity, brotherhood. Even if someone tried to harm Guruji, he defeated him with his tolerance, sweetness, mildness.  #दशमेश_पिता


Guru Gobind Singh believed that human beings should not be afraid to anyone and should not be afraid of anyone. He preach in his speech - भै काहू को देत नहि, नहि भय मानत आन।    #दशमेश_पिता


Guru Gobind Singh Ji fought 13 battles against the Mughal Empire and the hill chieftains. of these epic siege of Anandpur Sahib and associated battles are of maximum significance.  #दशमेश_पिता


Guru Gobind Singh was a simple, easy, devotional-minded karmayogi since childhood. His speech was filled with a feeling of sweetness, simplicity, mildness and quietness.  #दशमेश_पिता


Guru Tegh Bahadur Ji said that a great man has to be sacrificed to protect the country and religion. His son Gobind Rai sitting nearby said, "Father, who will be greater than you?"  #दशमेश_पिता


Guru Gobind Singh Ji founded the Khalsa Panth on the day of Baisakhi in 1699.   #दशमेश_पिता


Guru Gobind Singh ji sacrificed his four sons Ajit Singh, Jujhar Singh, Fateh Singh and Zorawar Singh to protect the country and religion. On this, he said that - इन पुत्रन के सीस पर वार दिए सुत चार, चार मुए तो क्या हुआ जीवत कई हजार।      #दशमेश_पिता

Guru Gobind Singh Ji gave the mantra of victory to his disciples

चिडिय़न ते मैं बाज तुड़ाऊं,

सवा लाख से एक लड़ाऊं,

तबै गुरु गोबिंद सिंह नाम कहाऊं।।     #दशमेश_पिता


A war between the Sikhs and the Mughals was fought on 22 December 1704 under the leadership of Guru Gobind Singh, which is famous in history as the Battle of Chamkaur. In this, 40 Sikhs faced 10 lakh Mughal soldiers led by Wazir Khan.  #दशमेश_पिता


"It is not necessary for a Sikh to be detached from the world and attachment is also not necessary, but it is absolutely necessary to continue to work always on practical principles" - Guru Gobind Singh   #दशमेश_पिता


Guru Gobind Singh used to say about the war that victory depends not on the number of soldiers, but on their courage and strong will. He who fights for moral and true principles is a crusader and God makes him victorious.  #दशमेश_पिता


After analyzing the sacrifice and sacrifice of Guru Gobind Singh, Swami Vivekananda has said that the ideal of such personality should always remain before us.  #दशमेश_पिता


The four-pronged rise of the country from the Khalsa Panth was widely conceived by Guru Gobind Singh. Sikhs bear two swords, Meiri and Piri. One symbolizes spirituality, the other is morality. #दशमेश_पिता


Guru Gobind Singh made people of the so-called backward castes, by giving them amritpana and then sprinkling them with themselves. He gave the message of social unity, renunciation of the evil of untouchability and 'Jat Ek Sabhai, Ek Pehrebo' of Manas.    #दशमेश_पिता


Guru Gobind Singh  instructed his Sikhs saying, “Agya Bhai Akal Ki Tabhi Chalayo Panth, Sabh Sikhan Ko Hukam Hai Guru Manyo Granth, Guru Granth Ji Manyo Pargat Guran Ki Deh, Jo Prabhu Ko Milbo Chahe Khoj Shabad Mein Le. Raj Karega Khalsa Aqi Rahei Na Koe Khwar Koe Sabh Milenge Bache Sharan Jo Hoe.”   #दशमेश_पिता



हिंदी ट्वीटस - छत्रपति शिवाजी महाराज | Hindi tweets for shivaji maharaj

हिंदी ट्वीटस (छत्रपति शिवाजी महाराज) 1645 में 16 वर्ष की आयु में शिवाजी ने आदिलशाह सेना को आक्रमण की सूचना दिए बिना हमला कर तोरणा किला विजयी...